पुण्यतिथि या दिवस?

आज, पुण्यतिथि और दिवस में क्या फर्क है?

एक मृत्योपरान्त मनाया जाता है, दूसरा मृत्यु की तैयारी में।

आप शायद मेरे वाक्य से सहमत ना हों। कई मौकों पर मैं खुद भी इससे पलट जाऊं शायद। पर जब बात जैव-विविधता दिवस कि की जा रही हो तो यह परिभाषा तथ्यपरक लगती है। आपको अभी भी शक है? आइये जानते हैं कैसे –

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण : भारत में इस संगठन का गठन हुआ 1 अक्टूबर 2003 में।

इसका गठन क्यों हुआ?
जैविक विविधता अधिनियम, 2002 का कार्यान्वयन सुचारु रूप से चल सके इसके लिए इस संस्था का गठन हुआ। 2012 में, एनबीए ने तिरुवनंतपुरम, केरल में पहली बार राष्ट्रीय जैव विविधता कांग्रेस (एनबीसी) का आयोजन किया। इस अवसर पर, राष्ट्रीय जैव विविधता छात्र कांग्रेस भी आयोजित की गई।

बात कितनी उम्मदा लगती है न? प्रयास भी दृष्टिगोचर हैं? पर ध्यान देने वाली बात है की, कानून बनाने के एक साल बाद संगठन बना और उसके नौ साल बाद कोई ताली-थाली बजाओ कार्यक्रम आयोजित हुआ। देर आए, कमजोर आए पर आए तो सही।

2015 में नोएडा, “द अर्थ रिसर्च सेंटर” जाने का मौका मिला, सोचा एनसीआर में पानी के दोहन पर एक प्रोजेक्ट पर चर्चा और कुछ सहयोग मिल पाएगा पर वहाँ जाकर चाय-नाश्ता और एक किताब मिली जिसे किसी वैज्ञानिक ने पब्लिश कराई थी। वो किताब थी जैव-विविधता की। भारत में सभी लुप्तप्राय जीवों की और संभावित विलुप्त जीवों की तस्वीरों को उसमें बाक़ायदा संजोया गया था।

साल 2020 इसलिए भी अति महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि आज के ही दिन 2010 में जैव विविधता के संरक्षण के लिए पार्टियों (सीबीडी) ने, जैव विविधता 2011-2020 के लिए रणनीतिक योजना को अपनाया, सभी देशों और हितधारकों द्वारा जैव विविधता की रक्षा के लिए कार्यवाही और लोगों को इसके लिए लाभ प्रदान करने के लिए एक दस साल की रूपरेखा तैयार की गई।

देश, दुनिया, ये समूची पृथ्वी, इन सभी जगहों को और बड़े ओहदों पर बैठे लोगों के फैसलों को ठीक से समझना हो तो बेहतर हो कि हम अपने ही लिए गए फैसलों को ही ठीक से समझ लें। काफी मदद मिल जाती है।

नीचे दिखाई गई तस्वीर उसी का एक नमूना है। इसे और बेहतर समझने के लिए, सरल भाषा में एक बार, जैव-विविधता को समझ लेते हैं।

“दुनिया भर में आपके आँखों के सामने या आपसे अनजान जितने भी तरह के जिव-जन्तु, पौधे, कीड़े-मकौड़े और स्थल-जल में निवास करने वाले सभी सजीवों के एक साथ किसी क्षेत्र विशेष में निवास करने को जैव-विविधता कहते हैं।”

और इस जैव-विविधता के आड़ में व्यापार और विकास के नाम पर इस CBD की मन्शा अब शायद आप इस चित्र में साफ-साफ समझ पाएं।

undb-slider-sdg-un

इसके सतरह मानकों में जो सीधे-सीधे प्राकृतिक संरक्षण की बातें करने वाले मानक हैं वो बस चार हैं। जो शुरू 13 पर होते हैं और खत्म 16 पर।

ठीक हमारे रविवार के कार्यों की सूचि की तरह, जिसमें मूल्यवान कार्य सूची में घर के सारे छिट-पुट कामों के बाद शुरू होते हैं और अंत में एक आधा मूल्यवान कार्य भी लिख लेते हैं खुद को सांत्वना देने के लिए। हाँ, ये और बात है की वो आखिरी के कामों तक आते आते हम इतने थक जाते हैं कि उसे फिर अगले इतवार पर टाल देते हैं। ठीक वैसे ही जैसे बायोडायवर्सिटी का सपना भी अब 2050 तक का बना दिया गया है।

आइये अब इन बातों से इतर कुछ वास्तविक काम की समीक्षा कर लें 2011 से 2020 तक ?

जंगलों में आग क्यों और कैसे लगते हैं?


वाइल्डफायर अक्सर ब्राजील में शुष्क मौसम में होते हैं, लेकिन मवेशी चराने के लिए अवैध रूप से वनों की कटाई के प्रयासों में उन्हें जानबूझकर शुरू किया जाता है।

Inpe ने कहा कि उसने जनवरी से अगस्त के बीच 74,000 से अधिक आग का पता लगाया था – 2010 के बाद से यह सबसे अधिक संख्या है। उसने कहा कि उसने गुरुवार के बाद से 9,500 से अधिक जंगल की आग देखी थी, ज्यादातर अमेज़ॅन क्षेत्र में।
हालांकि, हाल के इतिहास में 2019 सबसे खराब साल नहीं है। ब्राजील ने 2000 के दशक में अग्नि गतिविधि का अधिक अनुभव किया – 2005 में वर्ष के पहले आठ महीनों में 133,000 से अधिक आग देखी गई।

ज्यादातर आग पाम आयल की खेती और पशु मीट पालन के नाम पर जंगलों को खतम करने के लिए और कहीं-कहीं शहरीकरण के लिए लगाई जाती हैं।

दक्षिण कोरिया :

  • मार्च 2013 गैंगवोन प्रांत की जंगल की आग।
  • अप्रैल 2019 गैंगवोन प्रांत की जंगल की आग। जंगल की आग तीन दिनों तक चली। इस भारी संघर्ष ने 1,307 एकड़ भूमि को जला दिया

भारत :

  • 2019 बांदीपुर जंगल की आग
  • 2016 उत्तराखंड के जंगल के आग(2016 की आग न्यूज़ में आ गई तो ऑन रिकॉर्ड है पर सालाना पेड़ कटाने और अवैध होटलों के लिए भूमि का निर्माण करने के लिए पेड़ों की जड़ों में उनके सूखे पत्ते ठूस कर आग लगा दी जाती है कुछ दिन में जब पेड़ खुद सुख जाते हैं तो इन्हें काट कर बेच दिया जाता है)

ब्राजील : अमेज़न में जंगल की आग :

  • अगस्त और सितंबर के दौरान अमेज़न में जंगल की आग एक वार्षिक घटना हो गई है, इस साल के पैमाने ने सभी अनुमानों को पार कर लिया। आधिकारिक आंकड़े 2019 के पहले आठ महीनों में 87,000 आग दिखाते हैं, जो 2018 के आंकड़े से लगभग दोगुना है। Capture

ये आकड़ा ये बताने के लिए काफी होगा कि किस तरह सिलसिलेवार तरीके से आगजनी बढ़ी है।

ऑस्ट्रेलिया 2019 :
पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में झाड़ी की आग से लाखों एकड़ वनस्पतियाँ जल गईं। इस धमाके ने अधिकारियों को “भयावह” चेतावनी जारी करने के लिए प्रेरित किया, जो सिडनी के लिए अब तक का सबसे बुरा खतरा है, क्योंकि 100 से अधिक घातक आग से उठे धुएं के बादल को न्यूजीलैंड के ऊपर, दूर तक देखा गया।

करोड़ों जीवों और पौधों की मौत का तांडव किसकी आँखों से छिपा है?

बुश फायर में पेड़ से लटके, जले हुए चमगादड़ :बुश फायर में पेड़ से लटके, जले हुए चमगादड़

आगे बढ़ते हैं — 

दुनिया भर में हर दिन भोजन के लिए 200 मिलियन से अधिक जानवर मारे जाते हैं — सिर्फ जमीन पर। जंगली-पकड़ी और खेती वाली मछलियों को शामिल करते हुए, हम प्रतिदिन 3 बिलियन जानवरों को मारने के आँकड़े के करीब पहुंचते हैं। यानि 72 बिलियन स्थलीय जानवरों और 1.2 ट्रिलियन जलीय जानवरों को हर साल दुनिया भर में भोजन के लिए मारा जाता है।

hqdefault

और रेड बुक के हिसाब से अकेले भारत में 2019 तक लुप्तप्राय हुए सूचीबद्ध जानवरों की संख्या – 132 हैं। और जिस स्फूर्ति के साथ ये संस्थाएं काम कर रही हैं आप ये समझने में स्वयं समझदार हैं कि यह संख्या कितनी विश्वसनीय है और सच्चाई कितनी भयावह।

quote-if-the-bee-disappeared-off-the-face-of-the-earth-man-would-only-have-four-years-left-albert-einstein-123-24-01

और अंत में — 

 

आपके घर के किसी कोने में रखा शहद किसी के रपे और पंखों को काटने का कारण है।

रानी मधुमखी के पर काट दिए जाते हैं जिससे वो कहीं जा न सके। फिर कृत्रिम वीर्यरोपण के द्वारा इनमें गर्भाधान कराया जाता है। बाकी मधुमक्खियां जीवन भर रानी मधुमक्खियों और अपने बच्चों के लिए पराग इकठ्ठा करती हैं जिसे हम चुरा लेते हैं।

इस प्रश्न के साथ आपको छोड़े जाती हूँ कि आखिर किस प्रकार इस तरह का मधुमखी पालन मधुमक्खियों की विलुप्ति का कारण है।

~

1 thought on “पुण्यतिथि या दिवस?

Leave a comment